Friday, July 31, 2015

नई दिल्ली: 1993 मुंबई सीरियल ब्लास्ट के दोषी याकूब मेमन को नागपुर जेल में आज सुबह फांसी दे दी गई है. लेकिन फांसी से जुड़े कुछ ऐसी बाते हैं जो सुनकर आप ज़रूर जानना चाहेंगे. याकूब को दी गई फांसी के वक्त जेल में जो लोग मौजूद थे उनमें एडिश्नल डीजी कारागार मीरा बोरवकर, जेल अधिक्षक योगेश देसाई, जेल डॉक्टर, मजिस्ट्रेट और दो हैंगमैन शामिल थे.

लेकिन फांसी से जुड़े कुछ ऐसे तथ्य जो अब हम आपको बताने जा रहे है वों शायद आप ना जानते हों और वो आपकी जानकारी बढ़ाए.

आईये नज़र डालें कि आखिर फांसी के वक्त क्या-क्या होता है?

सुबह के वक्त दी जाती हैं फांसी: फांसी वक्त सुबह-सुबह का इसलिए मुकर्रर इसलिए किया जाता है क्योंकि जेल मैन्युअल के तहत जेल के सभी कार्य  सूर्योदय के बाद किए जाते हैं. फांसी के कारण जेल के बाकी कार्य प्रभानित ना हो ऐसा इसलिए किया जाता है.

फांसी से पहला जल्लाद कहता है: फांसी देने से पहले जल्लाद बोलता है कि मुझे माफ कर दिया जाए. हिंदू भाईयों को राम-राम, मुस्लमान भाईयों को सलाम, हम क्या कर सकते है हम तो हुकुम के गुलाम हैं.

कितनी देर के लिए फांसी के बाद लटकता है शव: शव को कितनी देर तक फांसी के फंदे पर लटकाए रखना है इसके लिए कोई समय तय नहीं है. लेकिन फांसी के 10 मिनट बाद मेडिकल टीम शव की जांच करती है. जैसा आज के केस में हुआ. याकूब को सुबह 7 बजे फांसी पर लटकाया गया और 7:10 पर उसे मृत घोषित कर दिया गया

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