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Saturday, August 1, 2015
OWISI SE KUCH PUCHEYGAYE SAWAL
एबीपी न्यूज के खास कार्यक्रम प्रेस कॉन्फ्रेंस में असदुद्दीन ओवैसी से पूछे गए तीखे सवाल
By एबीपी न्यूज
Saturday, 01 August 2015 08:04 PM
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एबीपी न्यूज के खास कार्यक्रम प्रेस कॉन्फ्रेंस में असादुद्दीन ओवैसी से पूछ गए तीखे सवाल.
सवाल दिबांग- आपने कहा कि काफी गर्मी है, आपने कहा कि याकूब मेमन को फांसी दी जा रही है क्योंकि वो मुसलमान है. आपसे जब ये सवाल पूछा जाता है कि जितने आतंकवादी हैं वो मुसलमान ही क्यों है?
तब आप कहते हैं कि गांधी को जिसने मारा क्या वो मुसलमान था, इंदिरा गांधी को जिसने मारा क्या वो मुसलमान था, क्या ये जो मावोवादी लोग हैं क्या ये मुसलमान हैं. आप एक तरफ तो वो बात करते हैं, दूसरी तरफ सुप्रीम कोर्ट से सजायाफ्ता, जिसको सजा हो गई उसका धर्म आप क्यों बताते हैं ?
जवाब ओवैसी- अगर आप मेरी तकरीर को यहां सुना देंगे, सात या आठ मिनट मैंने याकूब की फांसी पर बात की. मैंने कहीं पर ये नहीं कहा कि ये मुसलमान है, इसलिए ये हो रहा है, मैं ये कहा कि फर्स्ट पोस्ट के एडिटर का आर्टिकल है, मैंने अपनी तकरीर में ज्योती पुनवानी के आर्टिकल का जिक्र किया, जो स्क्रॉल इन और रेडिफ डाट काम में छपा और दूसरे पत्रकारों ने भी लिखा. मैंने कहा मैं इनकी बात से मुत्तफिक हूं और मेरी राय भी ये है कि राजनीति होती है कैपिटल पनिशमेंट के ऊपर. बेअंत सिंह सीटिंग चीफ मिनिस्टर थे, आतंकियों ने उनको मार दिया. क्यों उनको फांसी नहीं दी जाती है? राजीव गांधी इस देश के प्रधानमंत्री रहे हैं, उनके कातिलों को फांसी की सजा दी जाती है. असेंबली में दोनो पार्टियां रेज्यूलूशन लाते हैं, उसे डिले करते हैं तो मैं सवाल ये उठाता हूं, चाहे मुंबई का ब्लास्ट हो या बेअंत सिंह का कत्ल हो या राजीव गांधी का कत्ल हो, इसमें फर्क नहीं है. ये जो मुल्क के दुश्मन हैं. मैं फर्स्ट पोस्ट के एडीटर इन चीफ के बात से बिल्कुल मुत्तफिक हूं कि बेअंत सिंह और राजीव गांधी के कातिलों को सजा इसलिए नहीं दी जा रही कि उनके पास पॉलिटिकल सपोर्ट है और यहां पर कोई पॉलिटिकल सपोर्ट नहीं है. मैं ये नहीं कह रहा कि याकूब मेमन इनोसेंट है, यकीनन कोर्ट ने प्रूफ किया है. ये बता रहा हूं कि कल बी रमन का आर्टिकल आया जो पाकिस्तान में रॉ के इतने बड़े अधिकारी थे. वो अपने आर्टिकल में लिख रहे हैं कि याकूब मेमन को फांसी नहीं होनी चाहिए. कम से कम आप मुझ पर शक कर सकते हैं, बी रमन पर तो नहीं.
सवाल कल्याणी- आप तो अपने लिए बड़ा रोल ढूंढ रहे हैं, नेशनल लीडर बनना चाहते हैं. आप ने अपने पार्टी के लिए महाराष्ट्र में 4 सीट जीत ली फिर अभी आप यूपी में जाने के लिए सोच रहे हैं. तो आप ऐसे कॉन्ट्रोवर्शियल आवाज उठाएंगे तो आपका वोट बैंक ज्यादा बढ़ जाएगा ऐसा लग रहा है क्या ? दूसरी चीज क्या आपकी आवाज को दूसरे लोगों से सपोर्ट मिलेगा क्या ?
जवाब ओवैसी- सबसे पहली चीज मैं गली का लीडर हूं, दिल्ली का लीडर नहीं बनना चाहता हूं. मैं नेशनल लीडर नहीं बनूंगा क्योंकि जितने नेशनल लीडर बने सब के सब ने धोखा दिया है. उसका शौक भी नहीं है. दूसरी चीज इसमें कोई इलेक्शन के वोट बैंक की बात नहीं है. मैं उसूल के ऊपर ये बात उठाया हूं. मैं आपके सामने इस बात को रख रहा हूं कि जस्टिस श्री कृष्णा ने अपने रिपोर्ट में कहा बड़ा गुनाह था वो बाबरी मस्जिद को गिराना था. सवाल ये उठता है दिसंबर 92 में, जनवरी 93 में मुंबई में साढ़े नौ सौ हिंदूस्तानियों का कतल हुआ, जो हिंदू, मुसलमान थे. उनका क्लोजर नहीं होगा क्या ?
बाबरी मस्जिद को शहीद हुए सत्ताइस साल हो गए, वो लोग डिप्टी प्राइमिनिस्टर बन गए, पद्म विभूषण मिल गया. वो गंगा की सफाई की बात कर रहे हैं, केस हैं उनके बाबरी मस्जिद का. क्या ये क्लोजर नहीं होना चाहिए. बाबू बजरंगी और माया कोडनानी के लिए फांसी की सजा की अपील नहीं करते.
दिबांग- जब आप इस तरह का बातें करते हैं तो उससे यही लग रहा है कि आप अपनी जगह ढूंढ रहे हैं, अपनी जमीन बढ़ाना चाहते हैं.
ओवैसी- मैं अपनी जगह नहीं ढूंढ रहा ना मैं अपनी जमीन बढ़ाना चाहता हूं, अगर सही बात कर रहा हूं तो इसका मोटिव क्यों निकालते हैं. मेरा कोई इरादा नहीं हैं बस हकीकत को बयां कर रहा हूं उसमें मोटिव एट्रीब्यूट करना बिल्कुल गलत है.
सवाल नं. दिबांग- आपको लगता है कि जब से मोदी सरकार आयी है, आप बहुत खुश होंगे क्योंकि आप को फैलने का मौका मिल रहा है. आप जो एक हौउवा खड़ा करते थे, अब सामने दिखायी दे रहा है, अब आप तलवार लेकर निकलेंगे, उस हौउवे के टूकड़े-टूकड़े करेंगे.
जवाब नं. ओवैसी- नहीं सर ऐसा नहीं है, बहुत सी बातें हैं अगर मैं बयां करूं तो और कांन्ट्रोवर्सी होगी. मोदी अगर प्रधानमंत्री बने हैं, तो क्या इसमें कांग्रेस का रोल नहीं है, क्या सेकुलर पार्टिज का रोल नहीं है? मैं आपके सामने ईमानदारी से कहता हूं, कि 95 प्रतिशत मुसलमानों ने बीजेपी को वोट नहीं दिया, ना कभी देंगे मोदी को वोट. सवाल ये पैदा होता है कि मुस्लिम तो वोट नहीं दिये मोदी को इसके बावजूद बीजेपी कामयाब हो गई तो ये क्वेश्चन मार्क उन सेकुलर पार्टियों के ऊपर है कि आप का पारंपरिक वोट बैंक भाग गया. आपकी गलतियों की वजह से मोदी को पावर मिला है. मैं खुश हूंगा, मैं तो पहले दिन से विरोध करता रहा हूं.
दिबांग-उनके आने से ही आप फैल रहे हैं?
ओवैसी- ये आप की गलतफहमी हैं, हम पहले से काम कर रहे हैं.
दिबांग- आप पहले महाराष्ट्र में सीट जीते?
ओवैसी- बिल्कुल हमने 2012 में नांदेड़ का चुनाव हमने जीता.
सवाल नं. राधिका- अक्सर आप के बयान और टिप्पणियां और खासकर आप के भतीजे वो ना केवल विवादित हैं बल्कि बहुत ही खतरनाक हैं तो आपको नहीं लगता कहीं ना कहीं आप जिस ढंग से बयान देते हैं, उससे आम अल्पसंख्यकों का इंट्रेस्ट बिल्कुल सर्व नहीं होता है. जो रोजमर्रा की जिंदगी सुख शांती से जीना चाहते हैं जो तथाकथित मेनस्ट्रीम में जुड़ना चाहते हैं, आप एक तरह से आप उस पूरी प्रतिक्रिया को रोकने की कोशिश कर रहे हैं, नाकामयाब करने की कोशिश कर रहे हैं.
जवाब नं. ओवैसी- मैं आपकी बड़ी इज्जत करता हूं, मैं आप को सेन्ट्रल हॉल में देखता हूं. सच्चर कमेटी, रंगनाथ मिश्रा कमेटी और कुन्ढू कमेटी और नेशनल सर्वे सेंटर के बाद. मैडम साठ साल में तो बुरा हाल करके छोड़ दिया मुसलमानों का. आप देख लीजिए हमारे आज दो परसेंट बच्चे ग्रेजुएट नहीं होते, दो परसेंट नौकरियां नहीं है. मैं जिम्मेदार कैसे हो सकता हूं? अच्छा मान लीजिए कि मैं इस तरह के बयान देता हूं, मैं खराब आदमी हूं. मगर पिछले साठ साल से क्या हो रहा था, कौन जिम्मेदार है. मीठी-मीठी बातें करके ये दिन ला लिए ना. बाबरी मस्जिद से लेकर, हाशिम पुरा से लेकर, श्रीकृष्णा कमीशन से लेकर, गुजरात से लेकर, इसका जिम्मदार तो मैं नहीं हूं. मुसलामानों का सोशल, एजुकेशनल स्टेटस है, इसका डाटा मौजूद है. इसका जिम्मेदार कौन है? मेरी बातें हैं या जो मीठी बातें करने वाले हैं. हमेशा मीठी बातें कर के धोखा देना. कभी कोई हमको सामने से मारता है तो कभी कोई पीछे से मारता है. अब हम ये तय कर चुके हैं कि हम हकीकत बयान करेंगे. अब बहुत हो चुका, अपने मुकद्दर के फैसले हम खुद करेंगे. हम किसी के सेकुलरिजम के कूली नहीं है कि उनको हराना है तो खौफ से उसके खिलाफ वोट डालता रहूं. मेरा मकसद ये नहीं है कि मैं इन सेकुलर पार्टियों की गुलामी करते रहूं और ये मेरे वोटों पर हुकूमत करें. ना मैं बीजेपी, आरएसएस से डर कर इनका साथ दूं. बल्कि एक और रास्ता है, हम तलाश कर रहे हैं. बाकि आवाम तय करेगी हम कोशिश कर रहे हैं.
दिबांग- ये जो आप बात कर रहे हैं, बड़ी मीठी बोली है ये और मुसलमान पानी के साथ भर-भर के खा रहे हैं.
ओवैसी- साठ सालों से मुसलमानों को जो शराब पिलायी जा रही है गुलामी की, कि हमारा ही साथ दो हम ही तुम्हारा अच्छा करने वाले हैं. बताइए उन लोगों ने कौन सी गोली खिलायी. अगर असाद्दुदीन ओवैसी की पास कोई एंटीबायोटिक्स नहीं है, ना कोई ऐसी दवा है जो मर्ज का इलाज करे. मैं सिर्फ इतना कह रहा हूं कि अपने मुकद्दर के फैसले आप करो. हिन्दुस्तान की जम्हुरियत आप को इजाजत देती है. ये उन से पूछिये जो वन साइज फिट ऑल की बातें करते हैं. अरे सब कुछ लुट गया उसके बाद कह रहे हैं कि आप जिम्मेदार हैं. अरे भईया 280 पर बीजेपी कामयाब हो गई, मैं जिम्मेदार हूं?
सवाल नं. शेषनारायण- जब आप ने यूपीए ज्वाइन किया था तो आप ने सेकुलर ताकतों को बहुत ज्यादा ताकत देने की बात कही थी तो आप ने कम्यूनल बीजेपी को हुकूमत से दूर रखने की बड़ी-बड़ी कसमें खायी थी, लेकिन अब हो ये रहा है कि आप ने उनको तख्तशीन कर दिया, महाराष्ट्र में उनकी जीत में आप का खासा योगदान है. अब आप वही काम बिहार में करने जा रहे हैं, उत्तर प्रदेश में आपने लगभग ठेका ही ले रखा है. ऐसा क्यों करते हैं सरकार ?
ओवैसी- सर आप मुझ पर गलत इल्जाम लगा रहे हैं, ये मीठी गोली है, ये मीठी छुरी से हमला कर रहे हैं. मैं आठ साल यूपीए में था तो सेकुलर था. मैं 2012 में यूपीए छोड़ते ही कम्यूनल हो गया, ये कैसे सर ? क्या ये लोग नोटरी का ऑफिस चला रहे हैं कि हमारे साथ रहेंगे तो सेक्यूलर, छोड़ दिया तो कम्यूनल. एक बात बताइए 288 में मैं 24 सीट पर लड़ा, उस 24 का क्या असर पड़ा उस चुनाव के ऊपर.
महाराष्ट्र में 60 लाख मुसलमान हैं और हमने सिर्फ 5 लाख चिल्लर लिए बाकी वोट कहां गए? महाराष्ट्र में 48 संसदीय सीटें है, मैं एक पर भी नहीं लड़ा 42 पर शिवसेना, बीजेपी कामयाब हो गए. पूरे हिंदूस्तान में मैं 2 सीटों पर लड़ा, बीजेपी 280 पर कामयाब हो गई. उत्तर प्रदेश में एक ही परिवार के पांच लोग जीतते हैं और कोई मुसलमान नहीं जीतता समाजादी पार्टी से. कांग्रेस के दो जीते, दूसरा कोई नहीं जीतता. बीजेपी 71 जीतती है, मेरा वजूद नहीं है. बिहार में मैं गया था क्या? कहां गए वो लोग जो बोलते थे जब तक समोसे में आलू रहेगा, लालू का नाम रहेगा. कहां गया नीतीश कुमार का बड़ा-बड़ा डेवलमेंट, मैं जिम्मेदार नहीं हूं. अब जब मैं लड़ रहा हूं, मैं लडूंगा जरुर. ये हिन्दूस्तान की आवाम तय करेगी कि हमको वोट देना है या नहीं. मगर ये याद रखिए मैं इन सेकुलर पार्टियों का गुलाम नहीं हूं. मैं हरगिज गुलामी करने के लिए तैयार नहीं हूं. क्योंकि इन्हीं की गुलामी करते-करते आज हमारा ये हाल हो गया. ना हम तालीम में हैं ना एजुकेशन में है, सिर्फ जेलों में भरे हुए हैं. महाराष्ट्र की आप बात कर रहे हैं वहां की जेलों में सबसे ज्यादा 32 प्रतिशत मुसलमान भरे हैं. 15 साल कांग्रेस की हुकूमत थी. आठ-आठ साल बच्चे जेल में रहते हैं, चार्जशीट नहीं डालते.
मालेगांव का ब्लास्ट हूआ, मनमोहन सिंह प्राइमिनिस्टर, कांग्रेस का ही मुख्यमंत्री, तय नहीं कर पाते कि एटीएस सही है या एनआईए. बच्चे जेल में सड़ रहे हैं, इसका जिम्मेदार मैं हूं आप बताइए आप सीनियर जर्नलिस्ट हैं. मैं आपके सामने डेटा दे रहा हूं. मैं क्यों हराउंगा बीजेपी को. हिन्दूस्तान की आवाम ने जिताया है मोदी को, मैं तो नहीं जिताया और अगर मुझे वोट डाल कर कामयाब करेंगे तो वेरी गुड. हम यकीनन बीजेपी के खिलाफ थे, आरएसएस के खिलाफ रहेंगे पर इसका हरगिज मतलब नहीं है कि इनके खौफ से इनकी गुलामी करेंगे.
सवाल नं. दिबांग- ऐसा है आप सिर्फ मुसलमानों को ही नहीं पत्रकारों को भी अच्छी गोली देते हैं. मैं आपको आपका ही बयान दिखा रहा हूं कम से कम आज के दिन उस बयान के लिए माफी मांगना चाहिए.
दिबांग-आप ये कह रहे हैं कि टीवी वाले हराम का खा-खा कर मोटे हो रहे हैं, एक मोटा टीवी वाला आपको कहीं दिख रहा है.
ओवैसी-आप कट एंड पेस्ट ऑपरेशन मत करिये, आप बताइए स्टिंग आया था कि नहीं आया था पार्लियामेंट इलेक्शन के दौरान. उस कांटेक्स्ट में बात कही. उर्दू या तो आप नहीं जान रहे या मैं ज्यादा समझ रहा हूं. स्टिंग ऑपरेशन हुआ था या नहीं हुआ था. जिसमें पैसे लेकर ये कहा गया कि हम करेंगे. और यकीनन ये बात सही है कि हुआ स्टिंग ऑपरेशन, नहीं हुआ क्या स्टिंग ऑपरेशन? मैं उसी की तो बात कर रहा हूं. और मेरा भाषण खत्म हुआ कि हिंदुस्तान की आवाम बादशाह है. आवाम ने फैसला दिया मोदी बन गए प्राइमिनिस्टर, हम मुखालिफ किए, करते रहेंगे.
दिबांग- आपने ये कहा ये मोदी का खाते हैं, हराम का खाते है. आपने कहा 220 सीटें, 280 सीटें आयी इसका मतलब हम हराम का नहीं खाते और खा-खा कर मोटे भी नहीं हुए. मैं आपके सामने बैठा हूं. इसके लिए आपको कहना चाहिए कि ये लोग हराम का नहीं खाते. ये आंकड़ा सही नहीं था, बहुत ज्यादा सही था.
ओवैसी- मैं अपनी बात पर कायम हूं.
दिबांग- हम किसकी हराम की खाते हैं ?
ओवैसी- मैं आप की बात नहीं कर रहा, ना ही यहां मौजूद बड़े लोगों की कर रहा हूं. जिन्होंने पैसे लेकर किया उनकी बात कर रहा हूं और सर मीडिया की बात आयी तो पेड न्यूज का डेफिनेशन क्या होना चाहिए, ये भी तय कर लीजिए आप लोग. क्योंकि हमारे जैसी छोटी पार्टियों के लिए तो बड़ा मुश्किल है. हमारे खिलाफ अखबार हैं रोज खबर छाप देते हैं, जिस दिन महाराष्ट्र में पोलिंग थी, उर्दू अखबारों ने हमारे खिलाफ खबर छापी. पूरा का पूरा पेपर भरा हुआ है. पेड न्यूज पर बहस होनी चाहिए. मेरा इशारा आप की तरफ या किसी की तरफ इशारा नहीं था, यकीनन मेरा इशारा उन लोगों की तरफ था जो स्टिंग ऑफरेशन में पकड़े गए.
मैं माफी नहीं मांग रहा हूं मैं गलती करुंगा तो अल्लाह से मांफी मागूंगा लेकिन मैंने गलती नहीं की. मैं उन लोगों को कह रहा हूं जो पैसे लेकर रिपोर्ट बना रहे थे, जिसे आपके चैनल ने दिखाया.
सवाल नं. राजगोपाल- कांग्रेस के लोग कह रहे हैं कि ओवैसी बीजेपी का एजेंट है.
जवाब नं. ओवैसी- अब क्या करेंगे मैं 8 साल यूपीए में था तो उनका एजेंट था, अब साथ नहीं हूं तो किसी और का एजेंट हो गया. इनके साथ रहें तो हम सेकुलर हो गए, बीजेपी को अपोज करें तो हम नेशनलिस्ट नहीं हैं. हम तो फंसे हुए हैं सर अगर सेकुलरिज्म का सर्टिफिकेट लेना है तो इनके पास जाना, नेशनलिस्ट का सर्टिफिकेट लेना है तो बीजेपी के पास जाना, दुकान खोल कर बैठे हैं सब. हैदराबाद में एक मंडी है जहां भैंस बेचते हैं. उस पर स्टैंप मारते हैं, हां ये अच्छा दूध देने वाली है. हम मारें तो सेकुलर वो स्टैंप मारे तो नेशनलिस्ट. हमको इनके सर्टिफिकेट की जरुरत नहीं है. ये बोलते हैं तो बोलते रहें, हिंदूस्तान की आवाम बादशाह है.
सवाल दिबांग- जब आप चुनाव लड़ते हैं और वोट पाते हैं तो वो वोट बीजेपी के होते हैं या कांग्रेस के?
जवाब ओवैसी- मेरा मानना ये है कि आज के इस दौर में किसी भी पॉलिटिकल पार्टी का ट्रेडिशनल वोट बैंक नहीं रहा. आप काम करेंगे, लोगों की उम्मीद पर खरे उतरेंगे और जो नेता एक्ससेबुल होगा वही कामयाब होते हैं. थोड़ा बहुत ट्रेडिशनल वोट होता है 10-15 प्रतिशत, उससे ज्यादा नहीं होता वो कम हो गया है. लोग वोट डालते हैं और हमको कामयाब करते हैं. मुझे कई दलित लोगों ने वोट दिया है, ऑन रिकॉर्ड मैं कह रहा हूं कई ओबीसी लोगों ने हमें वोट दिया है. और हम उनका काम करते हैं. कभी आप हैदराबाद आकर देखिए हमारे ऑफिस में कोई दरवाजा नहीं है. सब आकर हमसे काम लेते हैं.
सवाल नं. दिबांग- चक्कर ये हैं कि जब आप ऐसे बैठते हैं स्टुडियो में तो आपकी गोली का रंग दूसरा होता है. और जब आप खुले मैदान में आते हैं तो आपकी गोली का रंग. मतलब क्या आ जाता है आप पर भूत आ जाता है, जिन्न आ जाता है.
जवाब ओवैसी- आप भूत उतार दीजिए मेरा. आप भूत बोलते हैं इसको.
दिबांग- नहीं मैं आप से सवाल पूछ रहा हूं, कि आप एक सांसद होते हुए, अपने आप को जिम्मेदार सांसद बताते हुए क्या जाता है आपको, बैरिस्टर साहब की आंखे बंद हो जाती है.
ओवैसी- अगर कोई मुझे कुत्ते का बच्चा बोलेगा, मैं क्या करूं मैं दुम हिलाऊं, हड्डी की उम्मीद रखूं. साठ साल से सुनते आ रहे हैं कि मुसलमान कब्रिस्तान या पाकिस्तान अब कुत्ते का बच्चा. कब तक चलेगा ये? आप को पसंद नहीं आता सही है और आप ये वो फिल्म एक्टर को दिखाए. क्या किस्मत है वाह! माने कितनी जल्दी बेल मिल जाती है, क्या किस्मत है?
दिबांग- क्या आपको कभी लगता है कि मुझे इस तरह के भाषण नहीं देने चाहिए, थोड़ी सी मुझे सावधानी बरतनी चाहिए.
ओवैसी- नहीं-नहीं अगर मैं गलती कर रहा हूं केस करिए, जेल भेजिए और आजकल को फांसी देना नॉर्मल है फांसी पर चढ़ा दीजिए कोई बात नहीं.
सवाल संजय- आप जो भी कहते हैं, आप के कहने का मतलब है कि आप की जो राजनीति है वो हिंदू कम्यूनलिज्म के खिलाफ है लेकिन पटलकर आप देखेंगे तो आपकी राजनीति मुस्लिम सांप्रदायिकता की पूरी तरह से है. आप अकेले एमपी है लेकिन आपकी आवाज 100 एमपी के बराबर संसद से निकल बाहर कर आती है, हम सब भी आप से इसीलिए बैठकर बात कर रहे हैं. जब आप आन्ध्रप्रदेश के बाहर निकल रहे हैं तो आप कौन सी राजनीति को लेकर जा रहे हैं. मुस्लिम कम्यूनलिज्म की, सेकुलरिज्म की, समाज के जो बाकी पक्ष हैं मुस्लिम के अलावा उनको जोड़ रहे हैं, समुदाय के बाहर आप किस तरह की राजनीति देना चाहते हैं.
जवाब ओवैसी- मैं यकीनन उन कमजोर तबके हैं उनकी आवाज बनना चाहता हूं, उनके हुकूफ को दिलाने की हम बात करते हैं. समाजी तालिम और इंसाफ की हम बात करते हैं. अब होता क्या है सर जम्हुरियत है, हर कोई उसे अपने-अपने नजरिये से देखता है. अगर बीजेपी को उससे नुकसान हो रहा है तो वो कहेंगे कि ये आतंकवादी हैं. जहां पर सेकुलर पार्टियों को नुकसान होगा तो वो कहेंगे कि ये तो बीजेपी का साथ देने आए हैं. तो ये प्राब्लम है, मुझे कोई ऐतराज नहीं है. हमारी जो पॉलिटिक्स है वो समाजी इंसाफ की और बेजुबान लोगों का साथ लेकर काम करने की है. और हम चाहते हैं कि जो मुसलमान और दलित में एजुकेशनल बैकवर्डनेस है, उसको दूर किया जाए. जो भेदभाव होता है, उसको दूर किया जाए ये काम हम कर रहे हैं. हम कामयाब होंगे ये तो वक्त तय करेगा, कई जगह हमको कामयाबी नहीं मिली. हक कोई अपने-अपने नजरिये से देखता है. जैसे हम महाराष्ट्र हम गए तो सर ने कह दिया कि हम उनको फायदा पहुंचा दिया जबकि हम सिर्फ 24 सीटों पर लड़े. अब यूपी जा रहे हैं तो बोल रहे हैं कि उनको फायदा पहुंचा रहे हैं. ये फायदे नुकसान की सियासत हमसे क्यों जोड़ रहे हैं, हमारा इससे कोई ताल्लुक नहीं है.
संजय-आप अपने कांस्टिट्यूएन्सी को जिस तरह से एड्रेस करते हैं आप उसको एक पॉजिटिव डायरेक्शन में भी कर सकते हैं या जैसे दिबांग कह रहे थे कि मोदी सरकार से आने से आपकी आउटरीच बढ़ती है. उनको आपको थैंक्यू बोलना चाहिए.
ओवैसी- सर तो आप लोग मोदी को खत्म कर दीजिए ना पॉलिटिकली, आप सेकुलर लोग हैं हरा दीजिए 2019 में, मुझे भी हरा दीजिए. आप लोग वोट डालने वाले हैं, मैं तो नहीं हूं ना. आप लोगों ने वोट डालकर कामयाब किया मोदी को, मैंने तो वोट ना डाला ना डालूंगा. हम तो कभी साथ नहीं देंगे. मोदी के आने में मेरा क्या रोल है, हिंदूस्तान की आवाम का रोल है. मैं मोदी के खिलाफ था, हूं और रहूंगा. अगर आप अपना काम नहीं करेंगे, मेहनत नहीं करेंगे, मैं जाकर मिल रहा हूं तो मेरी क्या गलती है उसमें. आप मेहनत करिए, आप ग्रासहुड पॉलिटिक्स को छोड़ चुके हैं. आप जाते नहीं हैं धूप में. आप जाइए मेहनत करिए देखिए क्या तकलीफ है आवाम को.
सवाल दिबांग- ये जो भड़काऊ भाषण वाली बात है और आपके भाई ने भी भाषण दिया, उन्होंने कहा कि हमें 15 मिनट दे दीजिए हम देख लेंगे. आप के भाई हैं मैं पूछना चाह रहा हूं कि आप के भाई हैं 15 मिनट में क्या देखना चाह रहे हैं? मुल्क तो बहुत बड़ा है तो क्या देखना और दिखाना चाहते हैं?
ओवैसी- उनके ऊपर एक कम्यूनल केस है और वो लंदन में थे. उनको कानून पर भरोसा है वो वापस आए, सरेंडर किया अपने आप को, पचास दिन जेल में रहे. फाजिल जज ने उनको बेल पर रिहा किया और मुझे पूरा यकीन है कि जिस तरह अदालत ने वरुण गांधी से इंसाफ किया, इनसे भी इंसाफ होगा. रहा सवाल भड़काऊ भाषण का तो महाराष्ट्र में चुनाव के दौरान करीब 35 सभाएं हुई. एक में भी किसी ने कंप्लेन नहीं किया कि मैंने भड़काऊ भाषण दिया. ना विपक्षी पार्टियों ने कंप्लेन किया ना ही इलेक्शन कमीशन ने हमें नोटिस दी. मैं देश की सबसे बड़ी पंचायत में आकर बोल सकता हूं, मगर उत्तर प्रदेश में हमको आने नहीं देते कि इनके आने से गड़बड़ हो जाएगी. क्या उत्तर प्रदेश किसी परिवार की विरासत है, किसी की जागिर है. आप मुझे मौका दीजिए, मैं अगर गलती करता हूं तो रोक लीजिए मुझे. महाराष्ट्र में असेंबली इलेक्शन हुए, मुन्शिपालिटी इलेक्शन हुए, कहीं पर हमको नोटिस नहीं मिली कि हम कोई गलत बात किए.
दिबांग- आपको नहीं लगता कि ठीक है कोर्ट में फैसला आएगा लेकिन अकबर को थोड़ी नसीहत दें कि भईया थोड़ी शांति बनाए रखो.
ओवैसी- इंसान जब तक मरता नहीं है वो सीखते रहता है. जब तक हम लोग कब्र में नहीं जाते हैं तक सीखते रहते हैं और मैं जिंदगी का एक स्टूडेंट हूं, मैं सीख रहा हूं. मगर हमको आप ये बता दीजिए कि एक धक्का और दो, इस धरती को समताल होना पड़ेगा कि मुसलमान जो है, मराठी में क्या कहते हैं नहीं बोलना चाह रहा हूं गाली है वो. क्या क्या नहीं कहते. हममे इत्तेमात था हम आए सरेंडर हुए, केस बुक हुआ और यकीनन मैं आपकी बात से मुत्तफिक हूं जिंदगी हमें सिखाती रहती है और हम सीख रहे हैं.
सवाल श्यामकांत जागिरदार- आपने माना कि मुस्लिम बच्चों को अच्छी शिक्षा नहीं मिलती है तो अभी महाराष्ट्र सरकार ने एक डिसीजन लिया था. उन्होंने मदरसे में गणित और विज्ञान विषय कंपल्सरी किया था. उसका आपने विरोध किया. क्या आप नहीं चाहते कि मुस्लिम बच्चों को आधुनिक शिक्षा मिले, उनकी प्रगति हो, उनको अच्छी जॉब मिले क्या आप ये नहीं चाहते ?
जवाब ओवैसी- महमुदुर्रहमान कमेटी रिपोर्ट आप जानते हैं, पेज नं. 72 पढ़ लीजिए. कमेटी की रिपोर्ट में कहा है कि महाराष्ट्र के मदरसों में केवल 2 प्रतिशत बच्चे पढ़ते हैं. 98 प्रतिशत बच्चों का क्या करेंगे. मुंबई हाईकोर्ट ने कहा है कि एजुकेशन में आरक्षण मिल सकता है तो आप क्यों नहीं देते हैं. रिजरवेशन मिलेगा तो ग्रेजुएट होगें डॉक्टर, इंजिनियर बनेंगे. 98 परसेंट की फिकर नहीं है दो परसेंट की फिकर है. संविधान का आर्टिकल 29 और 30 ये कहता है कि सरकार का कोई हस्तक्षेप नहीं हो सकता है. शिक्षा के अधिकार का गजट पढ़िए. ये महाराष्ट्र की सरकार दो परसेंट के पीछे क्यों पड़ रही है, आप 98 परसेंट के पीछे पड़ो. आप मुस्लिम इलाकों में स्कूल, कॉलेज खोलिए कौन रोक रहा है आप को. सच्चर कमेटी ने यहां तक कहा कि मुसलमान मदरसों में इसलिए जाते हैं क्योंकि करीब में स्कूल ही नहीं है.
वैदिक स्कूलों में मैथ और साइंस पढ़ा रहे हैं आप बताइए, मदरसों में बच्चे इसलिए जाते हैं कि वहां स्कॉलर बने, आलिम बने, इमाम बने, जुरुस बने. अक्कलकुआं में मौलाना मस्तानवी का मदरसा है, मेडिकल कॉलेज है कोई रोकता है. हम ये कह रहे हैं कि दो परसेंट की फिकर क्यों कर रहे हैं आप. ये तो वॉइलेशन है आर्टिकल 29 और 30 का. वहां पर डीविजन वाइज बताया गया कि यहां पर निरक्षता ज्यादा है आप स्कूल क्यों नहीं खोलते. आरक्षण मुंबई हाईकोर्ट देती है आप लागू नहीं करते हैं.
सवाल दिबांग- मैं स्कूल की बात पर आता हूं. क्या ये बात सही नहीं है कि हैदराबाद में 1940 के दशक में करीब 12 सौ स्कूल थे और आज वो घट कर संख्या तीन सौ हो गई है. आप पढ़ाई लिखायी की बात करते हैं तो ये संख्या क्यों कम हो रही है.
जवाब ओवैसी- बिल्कुल सही है मैं आपकी बात से मुत्तफिक हूं कि स्कूल बंद हो रहे हैं और हमने पहल की स्कूल को बंद करने की बात की गयी थी तो हमने उसको रुकवाया. आप एक चीज नहीं दिखा रहे हैं, हम लोग हर साल तेलंगाना में 2 करोड़ रुपये का सरकार के उर्दू मीडियम और तेलगू मीडियम के स्कूलों में एजुकेशन किट देते हैं. करीब हर साल 25 हजार बच्चों को हम लोग बैग देते हैं. उनके 10वीं के परीक्षा की फीस देते हैं, कोचिंग सेंटर हम चलाते हैं. मगर वो बात सही है. पिछले हफ्ते चीफमिनिस्टर से हमारी गुफ्तगू हुई. होता क्या है कि टीचर के अप्वाइंमेट में रिजर्वेशन है जो संवैधानिक है. उर्दू टीचर की पोस्ट में दलित नहीं आते, ना ओबीसी को उर्दू आती है. हम सरकार से बोले आप उन पोस्ट को डीरिजर्व करके, उस पर नियुक्ति करिए ये भी एक वजह है. मगर आप की बात सही है कि स्कूल बंद हो रहे हैं उसको हम रुकवाए हैं और हमारे तरफ से जो कान्ट्रीब्यूशन है वो ये है.
सवाल निर्मल पाठक- मुस्लिम युवकों की तादात आईएस में शामिल होने की बढ़ा है तो इस बारे में आप की जानकारी क्या है ? क्योंकि आप जिस इलाके से आते हैं उस इलाके से इस तरह की खबरें ज्यादा आ रही हैं तो इसमें आप का संगठन किस तरह से भूमिका निभा रहा है उन्हें समझाने में, उनको रोकने में ?
जवाब ओवैसी- मैं पिछले दो सालों से आईएस के खिलाफ कह रहा हूं कि इनका इस्लाम से ताल्लूक नहीं है. ये आतंकी है, ये हमारे मुल्क के दुश्मन हैं और महाराष्ट्र में तीन-चार बच्चे आते हैं शायद एक-आध वापस आ गए. हैदराबाद से भी गए थे, वहां कि पुलिस ने उन्हें बुलाया उनकी कांउसलिंग की आज भी चल रही है. जहां तक हमारी पार्टी की बात है जो मुल्क का दुश्मन है वो हमारा दुश्मन है. हमारी राजनीति से आप इत्तेफाक नहीं करते ये आप का अधिकार है. मगर मुल्क सालमियत और मुल्क का जो दुश्मन है उसपर कांप्रोमाइज नहीं किया जा सकता है. आईएस यकीनन एक थ्रेट है. ये ना सिर्फ एक आंतकी है बल्कि एक स्टेट का रुप एख्तियार करते जा रहे हैं. और इसके जिम्मेदार वो लोग है जो इराक को टर्मॉइल में छोड़ कर चले गए . और कई मुस्लिम उलेमाओं ने फैसला दिया है कि इनका ताल्लुक इस्लाम से नहीं है, इसके खिलाफ उन्होंने बात कही है.
सवाल दिबांग- तारीख है 7 अप्रैल, वारंगल से हैदराबाद 5 मुस्लिम बच्चे लाए जा रहे थे. वो एनकाउंटर में मारे गए. आपने उसमें हल्ला ज्यादा नहीं किया, आपने हैदराबाद बंद नहीं बुलाया, सीबीआई जांच की मांग नहीं. आप बोले जरुर लेकिन आप फटे नहीं बम की तरह वहां. तो आप भी तय कर लेते हैं कहां फटना है और कहां नहीं?
जवाब ओवैसी- आप गलत कह रहे हैं. हम जाकर चीफ मिनिस्टर से सीबीआई जांच की मांग की थी. अगर टीवी चैनल्स ने कवर नहीं किया तो इसमें मेरी गलती नहीं है. खिलवत मैदान की मेरी तकरीर है, जिसमें मैंने खुलकर कहा कि ये एन्कांउटर नहीं है, ये मर्डर है बच्चों का. 12 पुलिस वाले 6 बच्चे और बच्चों के हाथ-पैर में हथकड़ी. ये एनकांउटर नहीं मर्डर है. हाईकोर्ट में केस चल रहा है. कौन कर रहा है पूछ लीजिए वकीलों को बुलकाकर. सीबीआई की इन्क्वाइरी की मांग हर बार हमने की है. इंसाफ के लिए हम लड़ रहे हैं और लड़ते रहेंगे. इस पर कांप्रोमाइज कैसे करेंगे, कैसे खामोशी इख्तियार करेंगे. अरे आप को क्या लगता है मेरा मुख्यमंत्री है. हम पावर में हैं ही नहीं. हमारा उनसे कोई ताल्लुक नहीं है. उनको जाकर शिकायत किए. अब आप देखेंगे असेंबली का सेशन होगा उसमें भी करेंगे. इसके हम खिलाफ हैं और ये एनकाउंटर नहीं कोल्ड ब्लड मर्डर है.
दिबांग- आलियर में जो बच्चे थे वो आपके भी खिलाफ बोल रहे थे.
ओवैसी- अगर मैं बंद बुलाता तो आप बोलते कि इनको लाशों पर रोटी सेंक रहे हैं आप. आप बोलते थे, अगर कुछ हो जाता. आप ये चाह रहे हैं कि गड़बड़ हो जाए फिर आप ये इल्जाम मुझपर लगाएंगे. आलियर के एनकाउंटर पर हमने तेलंगाना के सात जिलों में पब्लिक मीटिंग किए. आज भी कर रहे हैं, इसपर काम्प्रोमाइज नहीं किया.
सवाल हितेश शंकर- आप ने कहा कि सेक्यूलिरिज्म के मोहर लगाने वाले दूसरे हैं, नेशनलिज्म की मोहर लगाने वाले दूसरे हैं. मुस्लिम सौतेलेपन पर मेरा सवाल है कि ये बना रहना चाहिए या नहीं बना रहना चाहिए. देश में दो तरह के कानून, मुस्लिम पर्सनल लॉ क्या जरुरी है, ये सौतेलापन जरुरी है. अगर मुस्लिमों के लिए मुस्लिम पर्सनल लॉ जरुरी है तो क्या याकूब मेमन का भी इंसाफ शरिया लॉ के तहत करना चाहिए आप इससे सहमत हैं. अगर ये ठीक नहीं है तो क्या देश में सभी नागरिकों के लिए समान कानून होना चाहिए.
जवाब ओवैसी- आप को तकलीफ इस बात से है कि जो मुस्लिम मैरिज एक्ट जो सिवीलियन नेचर का है. शरिया तो कभी हिंदूस्तान में आएगा नहीं ना हम उसका मुतालिबा करते हैं. मैं आपीसी की धाराओं को सामने रखकर इंसाफ का मुतलिबा कर रहा हूं. हिंदूस्तान इंशाअल्लाहताला कभी थियूरोक्रेटिक स्टेट नहीं बनेगा. यहां यहीं के संविधान के तहत इंसाफ होगा. मुस्लिम मैरिज एक्ट है वो बरसों से है. इसमें अगर नाइंसाफी हो रही है तो मुस्लिम कम्यूनिटी को उसमें आत्ममंथन की जरुरत है कि अगर औरतों पर जुल्म अगर हो रहा है तो हमको इसको रोकना पड़ेगा. इसके लिए मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने पूरे हिंदूस्तान में मुहिम चलाई है इश्लाहे माशरा के नाम पर. उसपर ये कहना शरिया, इससे याकूब मेमन का क्या ताल्लूक है.
हितेश- तो क्या आपराधिक मामले में शादी-ब्याह की तरह अलग बर्ताव होना चाहिए ?
ओवैसी- देखिए हमारे जो फोरफादर ने संविधान बनाया, उनको आप से ज्यादा, मुझसे ज्यादा अकल थी. उन्होंने कहा कि हिंदूस्तान का संविधान होगा, आईपीसी होगा, सीआरपीसी होगा, मुस्लिम मैरिज एक्ट होगा. ये किसका बनाया कानून है, अंबेडकर का, सरदार पटेल का. बड़े-बड़े जैइयद लोग, उन्होंने अपने विज्डम में फैसला लिया और इसीलिए तो शरिया का कानून इस्लामिक देशों में है. हमारे यहां नहीं है.
सवाल कासिम सईद- आमतौर पर मुसलमानों का जो पार्टियां हैं उनके बारे में ख्याल पा जाता है कि वो नेशनल पार्टियों की बी टीम के तौर पर काम करती रही हैं, उनका दुमछल्ला बनकर, आप भी अरसे तक कांग्रेस में रहे हैं इसलिए उसमें आप की पार्टी भी शामिल रही है. आमतौर पर उनकी जज्बाती सियासत से मुसलमानों को फायदा कम नुकसान ज्यादा हुआ है. अब आप उत्तर भारत में कदम रख रहे हैं तो आप यहां किसी ठोस एजेंडे के साथ आ रहे हैं, आप का अपना कोई एजेंडा है या किसी और के एजेंडे के साथ?
ओवैसी- मेरा पर्सनल एजेंडा नहीं है, मैं अपनी शोहरत के लिए नहीं जा रहा हूं. मैं सिर्फ ये चाह रहा हूं कि सोशली, एजुकेशनली, पॉलिटकली इंसाफ हो. ये हमारा एजेंडा है, ये पब्लिक का एजेंडा है. इसमें मेरी कोई ज़ाती अनानियत शामिल नहीं है. अगर आवाम को पंसद आएगी ये बात तो उसे कबूल करेगी नहीं पसंद आएगी तो रद्द कर देगी.
सवाल रघु पाण्डेय- आप बोलते हैं मुल्क का दुश्मन हमारा दुश्मन बाद में समाजी इंसाफ की बात करते हैं और आपकी लाइन जिन्ना पर जाती है क्या आप भारत का बंटवारा चाहते हैं ?
ओवैसी- जिन्ना की दो देशों की थ्योरी को रिजेक्ट करके यहां बैठा हूं आपके सामने. हम जिन्ना को माने ही नहीं. जिन्ना हैदराबाद भी आए थे. वहां तकरीर की हम जिन्ना के पैगाम को नहीं माने. हमने उस बात को माना कि हिंदूस्तान का कोई मजहब नहीं होगा, हिंदूस्तान हर मजहब को मानेगा. हमने तो मौलाना अबुल कलाम आजाद की उन बातों को सुना जो मेरे कान में आज भी गुंजती हैं कि तुम हिजरत के मुक्कदस नाम पर फरार की जिंदगी गुजार रहे हो. हमने जामा मस्जिद को सुना. हमने कांस्टेड असेंबली में उन वादों को सुना. हम यही चाहते हैं कि उन वादों को पूरा किया जाए.
बड़े अफसोस की बात है कि 60-65 सालों बाद भी मुझसे सवाल कर रहे हैं कि जिन्ना. आप अपने माइंड सेट को बदलिए. आप क्यों हिंदूस्तान के मुसलमान को पाकिस्तान से जोड़ते हैं. हमारा कोई ताल्लुक नहीं है उनसे. अरे सर हम मरते भी हैं तो इसी जमीन में दफन हो जाते हैं. हिंदूस्तान के कब्रिस्तान, हमारी वफादारी की निशानी है तो प्लीज हमको जिन्ना से मत जोड़िए. हम जिन्ना के पैगाम को ठुकराए.
सवाल दिबांग- चार मीनार के पास पुलिस स्टेशन है. एसआई का कानून है कि वहां आस-पास कन्ट्रक्शन नहीं हो सकता. वहां एक बड़ा मंदिर बन रहा है आप रोकते नहीं हैं क्योंकि लोग ये बता रहे हैं कि जो जमीन बेचने वाले हैं वो आप ही के लोग हैं और बहुत मंहगे दामों पर जमीने मंदिरों को बेची गई हैं.
जवाब ओवैसी- आपका रिसर्च गलत है. यूपीए से निकलने की सबसे अहम वजह क्या थी. एक राजस्थान की मोहतरमा कटोच वो मिनिस्टर थी एसआई की उनके पास जाकर कहा कि मैडम चार मीनार के दामन में निर्माण किया जा रहा है . वहां कानून है कि 400 मीटर आस-पास निर्माण नहीं हो सकता है. हम उस पर बोले. वहां एक मंदिर है उसको बढ़ाया जा रहा है कि ये क्या हो रहा है. तो मीडिया ने चला दिया कि ये कम्यूनलिज्म कर रहे हैं. चित भी आपकी पट भी आपकी. रिसर्च गलत है. हम कोर्ट गए, कोर्ट से उनको इजाजत मिली.
सवाल पी.वेकंटेश्वर राव- आपको लगता है 1947 के सत्तर साल हो रहे हैं कि अब एक जरुरत ऊभर रहा है कि मुसलमानों का अपना एक जमात बने और उसके लिए एमआईएम ऊभर के आ रहा है और इसमें कोई खतरा नहीं है जैसे आप कहते हैं कि बीजेपी हिंदूओं की पार्टी, वैसे एमआईएम मुसलमान तबके की पार्टी हो सकती है.
जवाब ओवैसी- एक बात सुन लीजिए कड़वी लगेगी. मुलायम सिंह, यादवों के नेता, लालू यादव, यादवों के नेता, शरद पवार मराठा लीडर, चन्द्रबाबू नायडू, कंमाओ के लीडर, रेड्डियों के लीडर कर्नाटका में बड़ी कास्ट का लीडर, केरल में अलग लीडर. सब जगह अपनी-अपनी दुकान चल रही है. सब अपनी सियासत चमका रहे हैं और उसपर एक ग्लास चमाका देते हैं कि हम सेक्यूलर लीडर हैं मगर चला तो रहे हैं दुकान. बीजेपी भी वही करती है. मैं तो ये कह रहा हूं कि आओ दलित मुसलमान मिलकर काम करेंगे और यकीनन इसकी जरुरत है. मैं तो कहूंगा कि हिंदूस्तान का प्लुरिज्म इससे मजबूत होगा. आज जो दलित और मुसलमान एक होस्टेज बना हुआ है इन पार्टियों में पर हम अपने फैसले नहीं कर सकते. दलितों की पार्टी यकीनन उत्तर प्रदेश तक है. तमिलनाडू में यकीनन असेर्टिवनेस है दलित का उसको मानना पड़ेगा. मगर बहुत सी ऐसी जगह नहीं है. सोशल, एजुकेशनल पावर के लिए जरुरी है कि आपके पास पॉलिटिकल पावर हो. आप आर्गूयूमेंट कर सकते हैं कि उत्तर प्रदेश में सात मुसलमान जीते मगर किसी में हिम्मत नहीं हुई कि मुज्जफरनगर का दंगा हुआ, उसको रोकें. मुसलमान और दलित की मसाइल एक हैं. जो कमजोरियां उनमें हैं वो हममे भी हैं. दलितों से भी नाइंसाफी है . अगर ये दो कमजोर तबका मिलते हैं तो यकीनन बहुत अच्छा होगा.
दिबांग- ये बात आप को लगती है कि अपनी तकरीरों में अपनी बात को और फैलाएं ताकि और लोगों को आप की बात सही लगे.
ओवैसी- महाराष्ट्र में एक नगर है. जहां पर एक खानदान के दलित लोगों के टुकड़े कर के खेत में फेंक दिया गया. मैंने संसद में उठाया उसको. वहां पर जाकर उनके घर में बैठा मैं.
सवाल अभिलाष खांडेकर- आप खुद पढ़े-लिखे हैं. आप को मुसलमानों को पढ़ा-लिखा कर आगे लाना चाहिए. आप का संविधान में विश्वास दिखता है आप ने लगातार बोला है लेकिन आप संविधान की भावना के अनुरूप कहां काम करते हैं. आप बैरिस्टर हो पहले सहाबुद्दिन साहब थे वो भी ऐसी भावनाएं भड़काते थे आप भी यही कर रहे हैं. हैदराबाद में आप विशिष्ट कांसिट्यून्सी को एड्रेस करते हैं तो देश भर में आप लीडरशिप की बात कर रहे हैं तो देश के संविधान में आपका कितना विश्वास है.
ओवैसी- संविधान में विश्वास है इसीलिए तो बोलते हैं. संविधान पर पूरा यकीन है इसीलिए तो लड़ते हैं. संविधान पर अटूट विश्वास है इसीलिए तो अपने हक का मुतालिबा करते हैं अगर संविधान में भरोसा नहीं होगा तो क्यों बैठूंगा यहां पर. और हम तालिम के मैदान में हम जो काम कर रहे हैं पिछले 35 साल से एमबीए, एमसीए, मेडिकल, इंजीनियरिंग ये सब चला रहे हैं. तो तालीम के मैदान में हम नहीं कर रहे काम. और हम चाहते हैं ये काम हर जगह हो. मैं यकीनन मानता हूं कि मुसलमानों को तालीम के मैदान में आगे आना चाहिए. इसलिए हम महाराष्ट्र में रिजर्वेशन की डिमांड कर रहे हैं. मैंने कहा हज सब्सिडी निकालो आप जो साढ़े पांच सौ करोड़ एयर इंडिया को दे रहे हैं. आप वो सब्सिडी मुस्लिम लड़कियों को दीजिए. मेरी स्पीच है, आज फिर ऑन रिकॉर्ड कह रहा हूं. आप हर मुसलमान को स्कॉलशिप दीजिए ताकि उनमें तालीम बढ़े. ये हमारा कंसिस्टेंट स्टैंड रहा है.
दिबांग- जब आप बोलने जाते हैं तकरीर के लिए तो ये बात तो सही है ना कि आप थोड़ा सा तड़का लगाते हैं, थोड़ा छौंका लगाते हैं. क्या ऐसा हो गया है कि आप काम मत कीजिए बस ऐसा भाषण दीजिए कि विवाद खड़ा हो जाए और मीडिया आ जाए और हम लाइमलाइट में आ जाएं. क्या सोच रहती है किसी एक मुद्दे पर बोलने से पहले?
ओवैसी- तेलंगाना के जितने एमपी हैं कितनों ने अपना एमपी फंड इस्तेमाल किया. मैं आज भी एजुकेशन के लिए अपना एमपी लैड इस्तेमाल कर चुका हूं, एजुकेशन के लिए. आप देख लीजिए संसद की एमपी लेड की रिपोर्ट पढ़ लीजिए. अगर मैं तीन बार जीत रहा हूं तो क्या कोई तकरीर से जीत जाता है. आप खुदा के लिए आवाम की तौहीन मत कीजिए. हां ये ऐसा जमाना है जहां पर सोशल मीडिया है. सर अगर मेरी सभाओं में लोग सोते नहीं हैं तो क्या मेरी गलती है. दूसरों की सभा में सो जाते हैं. ये जमाना कम्यूनिकेशन ऑपटिक्स का जमाना है. लोग सुनते हैं हमारी बात को. अगर किसी को पॉलटिक्स मे सक्सेज होना है तो काम भी करना होगा और कम्यूनिकेट भी. 90 परसेंट वो काम और 10 कम्यूनिकेशन.
आप जब तकरीर करने जाते हैं चार-पांच प्वाइंट होते हैं. और हम लोग एक्सटेंपो बोलते हैं. हम देख के नहीं बोलते ना हमें कोई तकरीर लिख के देने वाला है. अगर आप लोगों में फिरेंगे, उनकी तकलीफ को सुनेंगे तो वो आपकी जबान बनते हैं. अगर कोई बोले की एसी में बैठ कर बोले कि मुझे तकरीर करनी है तो नहीं कर सकेगा आप को आवाम के बीच फिरना पड़ेगा. गली-कूचों में जाना पड़ेगा. लोगों से मिलना पड़ेगा. लोगों के आंसू को महसूस करना पड़ेगा. तब जाकर आप उनके जज्बात की तरजुबानी करेंगे.
सवाल- आप मुस्लिम-दलित के समीकरण के बार में बोल रहे थे तो क्या यूपी चुनाव में मायावती जी के साथ गठबंधन का कोई सवाल है.
जवाब ओवैसी- अभी कोई सवाल नहीं है, अभी तो मैं अपना काम करके दिखाउंगा जमीन पर तो फिर बाद में मालूम होगा.
सवाल कल्याणी- ऐसा क्या कारण है कि असेंबली में मुसलमानों का रिप्रजेंटेशन गिरते जा रहा है आजादी के बाद?
जवाब ओवैसी- यही तो मेरा सवाल रहा है ये सेक्युलर पार्टियां टिकट देती नहीं हैं और जब देती हैं तो कामयाब नहीं करते. महाराष्ट्र में एक मुसलमान एमपी नहीं है अब. कर्नाटका में 2009 में 14 में नहीं है. उत्तर प्रदेश में आजादी के पहली मरतबा ऐसा कि कोई मुसलमान कामयाब नहीं हुआ है. टिकट तो देते हैं मगर जिताते क्यों नहीं, आप टिकट अगर देते हैं तो अपना वोट डलवाइये ना. यही तो समस्या है कि कम्यूनलिजम बढ़ रहा है 2004 में 36 एमपी थे, 2009 में यूपीए आई 28 हो गए 14 मे 23 पर आ गए. आप लोग हमको गाली देते हैं कि ये भड़काऊ भाषण देते हैं ये गंदी बात करता है. अरे ठीक है भई कि मैं सबसे बुरा हूं. जितने 23 जीत कर आए इसमें कोई पार्टियों का रोल नहीं है दो-तीन पार्टी की वजह से जीते, मगर 80 परसेंट मुसलमान ऐसी कांन्सटिट्यूएन्सी से जीत कर आए जहां ऑलरेडी 33 परसेंट हैं. पार्टी का कोई रोल ही नहीं है उसमे.
सवाल - ओवैसी साहब आप दलित मुस्लिम जोड़ से अपना ग्राफ बढ़ाना चाहते हैं, लेकिन मैं आपसे ये जानना चाहता हूं कि मुसलमानों में भी तो जातियां हैं जिनके लिए चुटकियां ली जाती हैं, कि तरक्की खाक अब उर्दू करेगी, जुल्हें शायरी करने लगे हैं, गलत को तेह से लिख मारा जुलाहा फिर जुलाहा है. आपको लगता है कि आप जब सीटों का बंटवारा करेंगे तो उसमे अंसारियों की भी एक भागीदारी होगी.
जवाब ओवैसी- देखिए सर पोलिटिकल पार्टी जो होती है वो रियल्टी को एड्रेस करना जरुरी है, और जो रियल्टी को एड्रेस नहीं करती कामयाब नहीं होती तो रियल्टी को एक्सेप्ट करते हुए हम काम करेंगे. वो एक रियल्टी है उसको एक्सेप्ट करना पड़ेगा.
सवाल- सियासत में कोई दोस्त और दुश्मन मुस्तल्कित नहीं होता, जो पोलिटिकल पार्टी जिसके साथ जाना चाहती है चली जाती है, जो कल तक कम्युनल होता है वही आज सेक्युलर हो जाता है. लेकिन मुसलमानों के दोस्त और दुश्मन तय कर दिए गए हैं कि ये आपके दोस्त हैं और ये आपके दुश्मन. क्या आपके जेहन में ऐसा कोई ऑप्शन है कि मुसलमानों को हर पार्टी से अपनी शर्तों पर ओपन डायलॉग करना चाहिए चाहे फिर बीजेपी क्यूं ना हो.
जवाब ओवैसी- नहीं देखिए मेरा मानना ये है कि चाहे कोई पार्टी पावर में आए, संविधान सुप्रीम है. और संविधान, शासन करने वाली पार्टी से ये आशा करता है कि इंसाफ करो. उनको इंसाफ करना चाहिए और हमारा काम यह होना चाहिए कि तुम काम करो. माइनॉरिटी से या दलित से बैकवर्ड से, ये संविधान के तहत उनकी जिम्मेदारी है और हमारा काम ये है कि हम अपना एजेंडा तय करें पहले. ये गुलामी करना छोड़ दें कि इफ्तार की दावत कर दी तो खुश हो गए, ख्वाजा अजमेर पर चादर भिजवा दी तो खुश हो गए. ये कब तक चलेगा ये चादर ये फुलवारी, ये सब छोड़ो. एजुकेशन और पॉलिटिकल एंपावरमेंट के लिए हमको अपना एजेंडा रखना पड़ेगा तभी मामला सही होगा.
रैपिड फायर राउंड
सवाल- मुसलमानों का सबसे बड़ा नेता कौन हैं, आपके दो ऑप्शन हैं, मुलायम सिंह यादव या ममता बनर्जी?
जवाब ओवैसी- दोनों में से कोई भी नहीं है, कोई भी नहीं है. देखिए जब इलेक्शन कमिशन ने नोटा किया तो आपको भी नोटा रखना चाहिए. मेरे हिसाब से इनमे से कोई भी नहीं है अच्छा ठीक है मै ये सवाल छोड़ रहा हूं.
सवाल- आपकी पार्टी व कार्यकर्ताओं ने तसलीमा नसरीन पर हमला किया और आपके भाई अकबरुदीन ने भड़काउ भाषण दिया जिसमे हिंदू देवी देवताओं का अपमान किया गया, इन दोनों में से आप किसे ज्यादा गलत मानते हैं?
जवाब ओवैसी- देखिए दोनों मामले अभी कोर्ट में हैं तो मैं कैसे इस पर कोई कमेंट कर सकता हूं और मैटर जब कोर्ट में है तो आप और मै क्यूं जज बन रहे हैं कोर्ट तय करेगा.
सवाल- आपका बड़ा राजनीतिक विरोधी कौन है बीजेपी या समाजवादी पार्टी.
जवाब ओवैसी- दोनों एक सिक्के के दो रुख हैं, एक सिक्के के दो रुख. एक 71 सीटें जीत गए और दूसरे एक ही पार्टी के पांच सीटे जीत गए, दोनों एक ही सिक्के के दो रुख है.
सवाल - बेहतर प्रधानमंत्री आप किसे मानते हैं अटल बिहारी वाजपेयी को या नरेंद्र मोदी को.
जवाब ओवैसी- देखिए इसका जवाब मैं यूं दे सकता हूं कि हिंदुस्तान में मॉइनारिटी के किसी ने कुछ काम करना शुरु किया वो मनमोहन सिंह है. हां यूपीए टू में वो नहीं कर सके पर शुरु तो मनमोहन सिंह ने किया वो क्रेडिट तो उन्हें देना पड़ेगा. दोनों में से एक चुनना हो तो, दोनों बराबर हैं अटल बिहारी वाजपेयी ने तो तौहीन की थी अपनी कंट्री के लोगों की गोवा में, ऐसा अब तक किसी प्रधानमंत्री ने नहीं किया.
सवाल- आपको क्या लगता है कि मुसलमानों के लिए सबसे बड़ा खतरा कौन है, आपकी जैसी पार्टियां या वो पार्टियां जो हज में सब्सिडी की बात करती हैं?
जवाब ओवैसी- मैं तो आपके सामने कह चुका हूं कि सब्सिडी निकाल दो और मुस्लिम बच्चों की तालीम में इस्तेमाल करो. मुझे तो सवाल नहीं मालूम था कि आप ये पूछने वाले हैं तो सब्सिडी वाला तो चला गया.
Friday, July 31, 2015
कोलंबो: उमर अकमल की तूफानी पारी और सोहेल तनवीर की शानदार गेंदबाजी से पाकिस्तान ने पहले ट्वेंटी-20 अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मैच में आज यहां श्रीलंका को 29 रन से हराया. पाकिस्तान ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करते हुए पांच विकेट पर 175 रन का बड़ा स्कोर खड़ा किया. उसकी तरफ से अकमल ने 24 गेंदों पर तीन चौकों और इतने ही छक्कों की मदद से 46 रन की तूफानी पारी खेली.
अकमल ने अपनी पारी के दौरान शोएब मलिक (31 गेंद पर नाबाद 46 रन) के साथ चौथे विकेट के लिये केवल 45 गेंदों पर 81 रन की साझेदारी की. इससे पहले सलामी बल्लेबाज अहमद शहजाद ने भी 38 गेंदों पर 46 रन बनाये. पाकिस्तान ने आखिरी छह ओवर में 70 रन जुटाये.
श्रीलंका के कप्तान लेसिथ मालिंगा ने अपने चार ओवर में 46 रन लुटाये. श्रीलंका की टीम इसके जवाब में सात विकेट पर 146 रन ही बना पायी. श्रीलंका के लिये टी20 में पदार्पण कर रहे मिलिंदा श्रीवर्धना ने 35 और धनंजय डिसिल्वा ने 31 रन बनाये. चमारा कापुगेदारा ने आखिर में 16 गेंदों पर नाबाद 31 रन बनाये लेकिन इससे वह हार का अंतर ही कम कर पाये. पाकिस्तान की तरफ से तनवीर ने 29 रन देकर तीन जबकि अनवर अली ने 27 रन देकर दो विकेट लिये.
पाकिस्तान ने इस तरह से दो मैचों की सीरीज में 1-0 से बढ़त बनायी.
नई दिल्ली: 1993 मुंबई सीरियल ब्लास्ट के दोषी याकूब मेमन को नागपुर जेल में आज सुबह फांसी दे दी गई है. लेकिन फांसी से जुड़े कुछ ऐसी बाते हैं जो सुनकर आप ज़रूर जानना चाहेंगे. याकूब को दी गई फांसी के वक्त जेल में जो लोग मौजूद थे उनमें एडिश्नल डीजी कारागार मीरा बोरवकर, जेल अधिक्षक योगेश देसाई, जेल डॉक्टर, मजिस्ट्रेट और दो हैंगमैन शामिल थे.
लेकिन फांसी से जुड़े कुछ ऐसे तथ्य जो अब हम आपको बताने जा रहे है वों शायद आप ना जानते हों और वो आपकी जानकारी बढ़ाए.
आईये नज़र डालें कि आखिर फांसी के वक्त क्या-क्या होता है?
सुबह के वक्त दी जाती हैं फांसी: फांसी वक्त सुबह-सुबह का इसलिए मुकर्रर इसलिए किया जाता है क्योंकि जेल मैन्युअल के तहत जेल के सभी कार्य सूर्योदय के बाद किए जाते हैं. फांसी के कारण जेल के बाकी कार्य प्रभानित ना हो ऐसा इसलिए किया जाता है.
फांसी से पहला जल्लाद कहता है: फांसी देने से पहले जल्लाद बोलता है कि मुझे माफ कर दिया जाए. हिंदू भाईयों को राम-राम, मुस्लमान भाईयों को सलाम, हम क्या कर सकते है हम तो हुकुम के गुलाम हैं.
कितनी देर के लिए फांसी के बाद लटकता है शव: शव को कितनी देर तक फांसी के फंदे पर लटकाए रखना है इसके लिए कोई समय तय नहीं है. लेकिन फांसी के 10 मिनट बाद मेडिकल टीम शव की जांच करती है. जैसा आज के केस में हुआ. याकूब को सुबह 7 बजे फांसी पर लटकाया गया और 7:10 पर उसे मृत घोषित कर दिया गया
Filmygyan with Adil Ameen and 24 others
HEART TOUCHING STORY!
Ex Indian President Dr. Abdul Kalam Says:
"When I was a kid, my Mom cooked food for us.
One night in particular when she had made dinner after a long hard day's work, Mom placed a plate of 'subzi' and extremely burnt roti in front of my Dad.
"When I was a kid, my Mom cooked food for us.
One night in particular when she had made dinner after a long hard day's work, Mom placed a plate of 'subzi' and extremely burnt roti in front of my Dad.
I was waiting to see if anyone noticed the burnt roti. But Dad just ate his roti and asked me how was my day at school.
I don't remember what I told him that night, but I do remember I heard Mom apologizing to Dad for the burnt roti.
And I'll never forget what he said: "Honey, I love burnt roti."
Later that night, I went to kiss Daddy, good night & I asked him if he really liked his roti burnt. He wrapped me in his arms & said:
"Your momma put in a long hard day at work today and she was really tired. And besides... A burnt roti never hurts anyone but HARSH WORDS DO!"
"Your momma put in a long hard day at work today and she was really tired. And besides... A burnt roti never hurts anyone but HARSH WORDS DO!"
Thursday, July 30, 2015
नई दिल्ली: इंटरटेंमेंट चैनल 'कलर्स' जल्द ही 'कॉमेडी नाईट्स बचाओ' नाम से एक नया कॉमेडी शो प्रस्तुत करने जा रहा है. इस शो में कॉमेडी की मशहूर जोड़ी कृष्णा अभिशेक और सुदेश लहड़ी लीड़ रोल में होंगे. गौरतलब है कि पहले से ही 'कलर्स' पर 'कॉमेडी नाइट्स विथ कपिल' सफलता पूर्वक चल रहा है ऐसे में एक नए शो के लॉन्च होने से लोगों के जेहन में कई सवाल खड़े हो रहे हैं.
सबसे पहला सवाल यह उठता है कि क्या यह नया शो 'कॉमेडी नाइट्स विद कपिल' की जगह ले लेगा? इस सवाल के जवाब में नए शो की क्रिएटिव डायरेक्टर प्रीति सिंमोस कहती है कि ऐसी अफवाह न फैलाए. इसी सवाल के जवाब में चैनल के प्रवक्ता ने कहा कि कपिल का शो बंद होने नहीं जा रहा है.
सूत्रों की माने तो एस नए शो को अचानक लॉन्च नहीं किया जा रहा है चैनल पूरे प्लान के साथ इस शो को शुरु करने जा रही है. सूत्रों ने बताया कि 'कॉमेडी नाईट्स बचाओ' का टेलिकास्ट शनिवार को 'कॉमेडी नाइट्स विद कपिल' से पले ही किया जाएगा.
ताजा जानकारी के मुताबिक कपिल शर्मा और कलर्स टीम में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. ऐसा माना जा रहा है कि कपिल इस शो के जरिए बहुत कामयाब हो गए है. शायद कपिल की पॉपुलरिटी कुछ लोगों को रास नहीं आ रही है.
कृष्णा अभिषेक और सुदेश लहड़ी के साथ आ रहा नया कॉमेडी शो 'कॉमेडी नाईट्स बचाओ' एक रोस्ट कॉमेडी शो होगा. इस शो में गेस्ट और सेलिब्रिटी के भी इंज्वॉय करने का माकूल इंतजाम होगा, जैसा कि इसके प्रोमों में इसकी एक झलक दिखाई गई है.
वैसे कृष्णा और कपिल की पहचान काफी पुरानी है. 'कॉमेडी सर्कस का नया' दौर नामक शो में दोनों एक साथ झगड़ते हुए देखे गए थे. इस शो का ताज कपिल शर्मा के नाम था और कृष्णा इस शो के रनर-अप थें.
Wednesday, July 29, 2015
Ready to see Shah Rukh-Salman together on-screen?
Zee Media Bureau/Anindita Dev
New Delhi: If you are a true Bollywood buff, you will surely be more than jumping in joy with this latest addition to Shah Rukh-Salman bonding.
The duo has left their fans happy and surprised with their new bonding, hugs, Twitter biryani and well wishes for each other's movie.
And now we hear that, the two big Khans are ready to light up the screen together once again.
According to reports in Mid Day, SRK and Salman will work for YRF, which will be directed by Aditya Chopra himself.
If this happens, then Bollywood will have nothing bigger to celebrate.
Well, everybody loves these two Khans and so let's keep our fingers crossed
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